Description
साधु नटनानन्द ने महर्षि से अत्यंत गंभीर आध्यात्मिक प्रश्न पूछे। ‘उपदेश मंजरी’ उन प्रश्नोत्तरों पर आधारित ग्रन्थ है। इस पुस्तक से एक उद्धरण :
सभी सिद्धियाँ, माया शक्ति द्वारा उत्पन्न की गयी मायावी रूप हैं। आत्म-सिद्धि की शाश्वत सिद्धि ही वास्तविक सिद्धि है। सिद्धियाँ जो माया के प्रभाव से प्रकट और लुप्त होती हैं, वास्तविक नहीं हो सकतीं। उनकी प्राप्ति का उद्देश्य प्रसिद्धि और भोग है। कुछ व्यक्तियों में वे बिना प्रयास के, प्रारब्ध के कारण आ जाती हैं। ब्रह्म से एकत्व,सभी सिद्धियों की प्राप्ति है। यह श्रेष्ठ स्थिति या परम पद है।